Saturday, January 17, 2009


प्यारे दोस्तों,

जैसा की आप सभी को पता है मेरे घर वालों को मेरी आज़ादी नागवार गुजरी इसलिए मेरे घर वाले मुझे सामाजिक बंधन में बांधना चाहते है .
हम सभी जानते है की भावनाओं को सहारे की ज़रूरत होती है. इन भावनाओ को व्यक्त करने के लिए न कोई दोस्त हैं न रकीब .मेरे लिए इश्वर अग्यात्वर्ष के वनवास पर गए है और मित्र जिनके कंधे सम्बन्धों के बल से पहले से ही झुके हुए है . कथा के पन्ने तो बहुत लंबे पर समय का डोर उतना ही छोटा . मेरी शहादत की तारीख 19 Feb पक्की हो चुकी है . अतः आप महानुभावों से निवेदन है की इस पाक शहादत में उपस्थित होकर इस मंदी के नवयुग में मेरे इस अदम्य साहस भरे फैसले को सराहें .
जब आप लोग भी इस स्थिति से गुजरेंगे तो आप लोगों को एहसास होगा की आप ही इस शहादत की पंकित में अकेले नही है बल्कि आप लोगों का प्यारा साथी ब्रिजेश भी था . अतः ये दृश्य आप लोगों के लिए अनुकर्णीय सिख साबित होगा . और मेरी शहादत व्यर्थ नही जायेगी . अब इस वतन के निगेहबान आप है दोस्तों !तो अन्तिम लव्जों के साथ ........................

इन्किलाब जिंदाबाद ......
इन्किलाब जिंदाबाद ........
इन्किलाब जिंदाबाद !
जय हिंद